Tuesday 22 January 2013

हृदय मे एक काला रहस्य समेटे खूबसूरत आकाशगंगायें

हृदय मे एक काला रहस्य समेटे खूबसूरत आकाशगंगायें

ब्रह्माण्ड के सबसे खूबसूरत पिण्डो मे स्पायरल आकाशगंगायें है। उनका भव्य प्रभावशाली स्वरूप सैकंडो से लेकर हजारो प्रकाशवर्ष तक विस्तृत होता है, उनकी बाहें सैकड़ो अरब तारो से बनी होती है तथा एक दूधिया धारा बनाती है। लेकिन उनके केन्द्रो की एक अलग कहानी होती है।
आज प्रस्तुत है दो खूबसूरत आकाशगंगायें लेकिन अपने हृदय मे एक काला रहस्य समेटे हुये।
पहले NGC 4698 आकाशगंगा, यह चित्र माउंट लेमन अरिजोना की 0.8 मीटर व्यास के स्क्लमन दूरबीन से लिया गया है।
NGC 4698 (विस्तृत रूप से देखने चित्र पर क्लिक करें)
NGC 4698 (विस्तृत रूप से देखने चित्र पर क्लिक करें)
NGC 4698 आकाशगंगा हमारे काफी समीप है, लगभग 600 लाख प्रकाशवर्ष की दूरी पर। यह चित्र मनोहर है जिसमे आकाशगंगा की धूंधली बाह्य बाहें स्पष्ट रूप से दिखाती दे रही है, आंतरीक बाहें धूल के बादलों से इस तरह से ढंकी हुयी है जैसे किसी धागे मे काले मोती पीरोये हुये हों। इस आकाशगंगा का केन्द्र विचित्र है, यह अपेक्षा से ज्यादा दीप्तीवान है और ऐसा लग रहा है कि यह आकाशगंगा के प्रतल से बाहर आ जायेगा।
M77 (विस्तृत रूप से देखने चित्र पर क्लिक करें)
M77 (विस्तृत रूप से देखने चित्र पर क्लिक करें)
दूसरी स्पायरल आकाशगंगा सुप्रसिद्ध आकाशीय पिण्ड M77 है। M77 के प्रतल को हम NGC 4698 की तुलना मे ज्यादा अच्छे से देख पाते हैं। संयोग से यह आकाशगंगा भी लगभग 600 लाख प्रकाशवर्ष दूर है। इसकी बांहो मे दिख रहे लाल बिंदू नव तारो के जन्म का संकेत दे रहे है और वे नये तारो के जन्म से उष्ण होते हुये महाकाय गैस के बादल है। इसका केन्द्र भी NGC 4698 के केन्द्र के जैसे मोटा और विचित्र है। यह भी अपेक्षा से ज्यादा दीप्तीवान, ज्यादा संघनीत है। इस चित्र को ध्यान से देखने पर आप इसके केन्द्र के बायें एक हरी चमक देख सकते है जैसे कोई हरी सर्चलाईट हो।
प्रथम दृष्टी मे दोनो आकाशगंगाये सामान्य लगती है लेकिन यह स्पष्ट है कि इनमे कुछ ऐसा चल रहा है कि जो इन्हे अन्य आकाशगंगाओं से अलग बनाती है।
तारे सामान्यत: हर तरंगदैर्ध्य(wavelength) पर, हर रंग का प्रकाश उत्सर्जित करते है। इसे सतत वर्णक्रम कहा जाता है। किसी प्रिज्म के प्रयोग से इन सभी रंगो(तरंगदैर्ध्य) को अलग कर के देखा जा सकता है। लेकिन उष्ण गैस कुछ विशिष्ट रंग का उत्सर्जन करती है जिन्हे उत्सर्जन रेखा(emission lines) कहते है। इसका उदाहरण निआन बल्ब है, यदि आप निआन बल्ब से उत्सर्जित प्रकाश को प्रिज्म से देखेंगे तब आपको सभी रंग की बजाये कुछ ही रंगो की रेखाये दिखेंगी।
अंतरिक्ष के गैस के बादल भी ऐसे ही होते है। वे कुछ विशिष्ट तरंगदैर्ध्य वाले रंग के प्रकाश का उत्सर्जन करते है जो उस गैस के बादल के घटको पर निर्भर है। आक्सीजन के बादल से हरा, हायड्रोजन से लाल, सोडीयम से पीला रंग के प्रकाश का उत्सर्जन होता है। यह थोड़ा और जटिल है लेकिन यह इसका सरल रूप मे समझने के लिये पर्याप्त है। यदि आप स्पेक्ट्रोग्राफ उपकरण के प्रयोग से आकाशगंगा के प्रकाश को उसके घटक रंगो मे तोड़कर मापन करें तो आप उस आकाशगंगा की संरचना, घटक तत्व, तापमान तथा गति जान सकते है।
स्पेक्ट्रोग्राफ द्वारा M77 तथा NGC 4698 के प्रकाश की जांच से ज्ञात होता है कि इनके केन्द्रक द्वारा उतसर्जित प्रकाशवर्णक्रम सामान्य से काफी ज्यादा जटिल है तथा इसमे सरल वर्णक्रम ना होकर जटिल उत्सर्जन रेखायें है। इसका अर्थ यह है कि इसके केन्द्र मे ढेर सारी गर्म गैस के बादल है। यह विचित्र है लेकिन एक और विचित्र तथ्य है कि किसी आकाशगंगा के केन्द्र मे ऐसा क्या हो सकता है जो इस विशाल सैकड़ो प्रकाश वर्ष चौड़े गैस के बादल को इतना ज्यादा गर्म कर सके ?
आपका अनुमान सही है, यह कार्य किसी दानवाकार महाकाय श्याम विवर द्वारा ही संभव है। हम जानते है कि सभी आकाशगंगाओं के केन्द्र मे महाकाय श्याम विवर होता है। लेकिन इन आकाशगंगाओं का केन्द्रीय श्याम विवर सक्रिय रूप से अपने आसपास के गैस बादल को निगल रहा है। इन श्याम विवरो मे पदार्थ जा रहा है लेकिन उसके पहले वह इनके आसपास एक विशालकाय तश्तरी के रूप मे जमा हो रहा है। यह तश्तरी उष्ण हो कर प्रकाश का उत्सर्जन प्रारंभ कर देती है। यह प्रकाश आकाशगंगा के अन्य गैस बादलो द्वारा अवशोषित होकर उन्हे भी उष्ण करता है और वे भी चमकना प्रारंभ कर देती है। इस कारण से हमे इन दोनो आकाशगंगाओं का केन्द्रक ज्यादा दीप्तीवान दिख रहा है।
इस तरह की आकाशगंगाओं को सक्रिय आकाशगंगा कहा जाता है। हमारी आकाशगंगा के केन्द्र का श्याम विवर वर्तमान मे सक्रिय नही है अर्थात गैसो को निगल नही रहा है। यह सामान्य है लेकिन सक्रिय आकाशगंगाओं की संख्या भी अच्छी मात्रा मे है और इतनी दीप्तीवान होती है कि उन्हे लाखों प्रकाश वर्ष दूरी से भी देखा जा सकता है।
आप समझ गये होंगे कि इन सामान्य सी दिखने वाली मनोहर आकाशगंगाओं के हृदय मे छुपे काले रहस्य का तात्पर्य!

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